संस्थापक सचिव के बारे में
"हम बदलेंगे सोच, बेटी नहीं है बोझ।" - चंद्र मोहन मित्तल
मैं, चंद्र मोहन मित्तल, अपने जीवन को मानव सेवा के लिए समर्पित कर चुका हूँ। मैं अपनी जिंदगी के 72 वर्ष पूरे कर चुका हूँ और बाकी भी मानव सेवा में समर्पित करने जा रहा हूँ। मेरा उद्देश्य है सर्वसमाज के वंचित वर्गों की सहायता करना और उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर प्रदान करना।
हमारा मानना है कि कोई भी बेटी और बेटी के परिवारजन अपनी बेटी को बोझ न समझे। हर बेटी को उसके अधिकार और सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिले। अब हम वृद्धाश्रम और अनाथालय की स्थापना के लिए प्रयासरत हैं, ताकि बेसहारा वृद्ध और अनाथ बच्चों को सुरक्षित और स्नेहपूर्ण आश्रय मिल सके।
हमारी यात्रा आसान नहीं रही, परंतु हर कठिनाई ने हमें और मजबूत बनाया। हमारा लक्ष्य वृद्धों और अनाथ बच्चों के लिए एक सुरक्षित और स्नेहपूर्ण आश्रय प्रदान करना है। मैं चाहता हूँ कि हमारे वृद्धाश्रम और अनाथालय में सभी को वह सम्मान और सुरक्षा मिले, जिसके वे सचमुच में हकदार हैं। "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।" अर्थात हमारे अधिकार केवल कर्म करने में हैं, फल में नहीं। यह भावना हमें सच्चे मानव सेवा की प्रेरणा देती है।
हमारे इस प्रयास में, आपके सहयोग की आवश्यकता है। हम सब मिलकर इस मानव सेवा के अभियान को और आगे बढ़ा सकते हैं और अधिक से अधिक लोगों की मदद कर सकते हैं।
आप सभी से अनुरोध है कि श्री भक्त हनुमान ट्रस्ट के इस महान कार्य में अपना योगदान दें। वृद्धाश्रम और अनाथालय की स्थापना के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। आप धनराशि, भूमि, भवन, या किसी भी अन्य प्रकार से सहायता प्रदान कर सकते हैं। आपके सहयोग से, हम इस मानव सेवा के अभियान को और भी आगे बढ़ा सकते हैं और अधिक से अधिक लोगों की मदद कर सकते हैं। हमारे साथ जुड़कर आप भी इस पवित्र कार्य में सहभागी बन सकते हैं और अपने छोटे-छोटे योगदान से समाज में बड़ी-बड़ी खुशियों का संचार कर सकते हैं।
हमारा यह प्रयास न केवल एक नई दिशा की ओर है, बल्कि एक नए भविष्य की ओर भी है। आपके साथ से हम समाज में नई रोशनी और उम्मीद की किरण फैला सकते हैं।